हेलो दोस्तों आपका इस आर्टिकल में स्वागत है आप जानते ही होंगे कि हिंदी व्याकरण में संज्ञा एक महत्वपूर्ण विषय है जिसके बारे में हमें ज्ञात होना ही चाहिए। और यह परीक्षा में पूछे जाने वाला एक महत्वपूर्ण विषय है। इस आर्टिकल के अंतर्गत आपको संज्ञा से संबंधित बहुत सारी उदाहरण देखने को मिलेंगे।

संज्ञा(Noun) किसे कहते है ?
संज्ञा वह विकारी शब्द होता है जिससे किसी विशेष स्थान ,जीव,भाव तथा वस्तु का बोध हो, अर्थात् संज्ञा विश्व में अस्तित्व की प्रत्येक प्रक्रिया का नाम है, जो -पदार्थ, प्राणी, , धर्म तथा चेतना के रूप में उपलब्ध है।
संज्ञा कितने प्रकार के होते है ?
संज्ञा के प्रकार
ये हैं 1. व्यक्तिवाचक, 2. जातिवाचक, 3. भाववाचक, 4. समूहवाचक तथा 5. द्रव्यवाचक।
व्यक्तिवाचक संज्ञा :-
जिस शब्द से किसी एक वस्तु या व्यक्ति का बोध होता है, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं। जैसे रमेश, महेश, गंगा, हिमालय। व्यक्तिवाचक संज्ञा में व्यक्तियों, दिशाओं, देशों, समुद्रों, नदियों, पर्वतों, सड़कों, पुस्तकों, समाचार-पत्रों, घटनाओं, दिन-महीनों, त्योहार उत्सवों इत्यादि के नामों को शामिल किया जाता है। श्याम, सुरेश, उत्तर, दक्षिण, पूर्व, पश्चिम, भारत, हिन्द महासागर, हिमालय, दिल्ली, ऋग्वेद, दैनिक जागरण, मई, बुधवार, होली, दिवाली जैसे शब्द व्यक्तिवाचक संज्ञा हैं।
व्यक्तिवाचक संज्ञा के उदाहरण
राकेश, मधुरेश, रमेश, सीता, गीता, सुरेश, श्याम, कृष्ण,गोदान, हिन्दुस्तान, जनसत्ता, गंगा ब्रह्मपुत्र, महानदी, कावेरी, सिन्धु, एशिया, यूरोप, अमेरिका, ब्रिटेन, नेपाल, श्रीलंका, जनवरी, फरवरी, मार्च, सोमवार, शनिवार,राम, इन्द्र, विष्णु, महादेव, पार्वती, दुर्गा, सरस्वती, गीता, रामायण, कामायनी, होली, दिवाली, ईद, दशहरा, महाशिवरात्रि, सूर्य, चन्द्रमा, पृथ्वी, बुध, शुक्र, इत्यादि
जातिवाचक संज्ञा:-
जिस शब्द से एक ही प्रकार की व्यक्तियों, प्रवृत्तियों तथा वस्तुओं का बोध हो तो उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं। सम्बन्धियों, व्यवसायों, पदो तथा कार्यों, पशु-पक्षियों, वस्तुओं तथा प्राकृतिक तत्वों के नाम जातिवाचक संज्ञा के अन्तर्गत आते हैं। भाई, बहन, प्रोफेसर, मनुष्य, नदी, घोड़ा, गाय, पुस्तक, वर्षा, ज्वालामुखी जैसे शब्द जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण हैं।
जातिवाचक संज्ञा के उदाहरण
भाई, बहन, मकान, कुर्सी, घोड़ा, गाय, कलम, पुस्तक, कौआ, तोता, मैना, साँप, धोबी, नाई, बनिया, ब्राह्मण, लड़का, नर, नारी, आदमी, औरत, पहाड़, नदी, मनुष्य, देवता, देवी, राक्षस, मन्त्री, राजा, जुलाहा, किरानी ,घाटी, समुद्र, द्वीप, तालाब, अनाज इत्यादि
भाववाचक संज्ञा :-
जिस शब्द से किसी व्यक्ति या वस्तु के धर्म या गुण, दशा तथा कार्य-व्यापार का बोध होता है, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं। मिठास, चाल, लम्बाई, नम्रता, समझ इत्यादि भाववाचक संज्ञा के उदाहरण हैं। भाववाचक संज्ञा के एक शब्द से एक ही भाव का बोध होता है, इसलिए ऐसे शब्दों का प्रयोग उसके उसी रूप में होता है। बहुवचन के प्रयोग सम्भव नहीं होते। ‘भाववाचक संज्ञाओं का निर्माण जातिवाचक संज्ञा, विशेषण, क्रिया, सर्वनाम तथा अव्यय में प्रत्यय लगाकर होता है।
भाववाचक संज्ञा के उदाहरण
बुढ़ापा, लड़कपन, मित्रता, गर्मी, सर्दी, प्रवाह, निजत्व, मनुष्यत्व, देवत्व, पशुत्व, अपनापन , बन्धुत्व, नरत्व, मर्दाना, शीतलता, मिठास, तीखापन, ममत्व, पढ़ाई, लड़ाई, चढ़ाई, कड़ाई इत्यादि ।
भाववाचक संज्ञा का निर्माण
(क) जातिवाचक संज्ञा से
बूढ़ा – बुढ़ापा
लड़का – लड़कपन
मित्र – मित्रता
मनुष्य – मनुष्यत्व इत्यादि ।
(ख ) विशेषण से
गर्म – गर्मी
मीठा – मिठास
कठोर – कठोरता
नम्र – नम्रता इत्यादि
(ग ) क्रिया से
चढ़ना – चढ़ाई
पढ़ना – पढाई
रोना – रुलाई
दौड़ना – दौड़ इत्यादि
(घ ) सर्वनाम से
अपना – अपनापन
निज – निजत्व इत्यादि
(ड़ )अव्यय से
दूर – दुरी
समीप – समीपत्व इत्यादि |
समूहवाचक संज्ञा:-
जिस शब्द से वस्तु अथवा व्यक्ति के समूह अथवा बहुलता का बोध हो उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं। सभा, दल, संघ, गुच्छा, कुंज इत्यादि शब्द समूह का बोध कराते हैं, इसलिए ये समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण हैं। मेला, भीड़, बाजार, प्रदर्शन, रैली, हुजूम, सेना, झुण्ड, गिरोह इत्यादि समूहवाचक संज्ञा के अन्तर्गत आते हैं।
समूहवाचक संज्ञा के उदाहरण
गुच्छा, जुलूस, सेना, भीड़, सभा, प्रदर्शन, झुण्ड रैली, मेला, बाजार, दल, पार्टी, गिरोह, कुंज, मण्डली, धौंद, जमघट, जमावड़ा, बैठक,जनसमूह, सैलाब, समुदाय इत्यादि ।
द्रव्यवाचक संज्ञा:-
जिस शब्द से किसी द्रव, धातु तथा ऐसी वस्तुओं, जिसे नापा-तौला जा सके, का बोध हो, द्रव्यवाचक संज्ञा कहलाता है। चाँदी, लोहा, दूध, दही, सोना, , लकड़ी, पानी, तेल, पीतल, ताँबा, तेजाब, इत्यादि शब्द द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण हैं।
द्रव्यवाचक संज्ञा के उदाहरण
सोना, चाँदी, पारा, लोहा, ताँबा, काँसा, पानी, शराब, तेल, घी, दूध, दही, तेजाब, पीतल, जल, खून इत्यादि।
संज्ञा के प्रयोग में कभी-कभी परिवर्तन भी होता है। जातिवाचक संज्ञा का व्यक्तिवाचक संज्ञा के रूप में, व्यक्तिवाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में तथा भाववाचक संज्ञा का जातिवाचक संज्ञा के रूप में इसका प्रयोग देखने को मिलता है। उदाहरण गोस्वामी (जातिवाचक संज्ञा) से तुलसीदास (व्यक्तिवाचक) का तथा देवी (जातिवाचक संज्ञा) से दुर्गा (व्यक्तिवाचक संज्ञा) का बोध होता है। भीम (व्यक्तिवाचक संज्ञा) का प्रयोग कई जगहों पर जातिवाचक संज्ञा (वीर) के रूप में प्रयुक्त होता है। ‘पहनावा’ (भाववाचक संज्ञा) का प्रयोग वस्त्र (जातिवाचक संज्ञा) के रूप में भी होता है।
संज्ञा विकारी शब्द है। विकार शब्द रूपों को रूपान्तरित करता है। संज्ञा के रूप लिंग, वचन तथा कारक चिह्नों (परसर्ग) के द्वारा बदलते हैं;
जैसे
- लड़का खाता है।
- लड़की खाती है – लिंग के आधार पर संज्ञा में परिवर्तन।
- लड़का खाता है।
- लड़के खाते हैं – वचन के आधार पर संज्ञा में परिवर्तन । लड़का खाना खाता है।
- लड़के ने खाना खाया – कारक चिह्न (परसर्ग) के आधार पर संज्ञा में परिवर्तन ।