हेलो दोस्तों वचन किसे कहते हैं यह एक बहुत ही महत्वपूर्ण प्रश्न है यह अक्सर परीक्षाओं में पूछे ही जाते हैं तथा उनके प्रकार भी पूछे जाते हैं इस आर्टिकल में हम सिंपल भाषा में वचन किसे कहते हैं और उसके कितने प्रकार हैं उसको देखेंगे

वचन
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण तथा क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता है, उसे ‘वचन’ कहते हैं। वचन संख्याबोधक विकारी शब्द होते हैं।
वचन के कितने भेद है ?
वचन के दो भेद हैं
1. एकवचन तथा
2. बहुवचन
एकवचन किसे कहते है –
शब्द के जिस रूप से एक व्यक्ति या वस्तु का बोध होता है, उसे ‘एकवचन‘ कहते हैं, जैसे लड़का, पुस्तक, कलम, घड़ी इत्यादि ।
बहुवचन किसे कहते है-
शब्द के जिस रूप से दो या दो से अधिक व्यक्ति या वस्तु का बोध होता हो,उसे बहुवचन कहते हैं, जैसे सड़के, पुस्तकें, कलमे, घड़ियाँ इत्यादि ।
• आकारान्त पुल्लिंग शब्दों में हम ‘आ’ को ‘ए’ बनाकर बहुवचन बनाते है-
जैसे लड़का-लड़के, घोड़ा- घोडे, गदहा- गदहे इत्यादि ।
• इकारान्त, ईकारान्त, उकारान्त तथा ऊकारान्त पुल्लिंग शब्दों में बहुवचन में रूप परिवर्तित नहीं होता है तथा उनके वचन की पहचान क्रिया के प्रयोग द्वारा की जाती है;
जैसे
साधु जाता है (एकवचन) साधु जाते हैं। (बहुवचन)
डाकू जाता है (एकवचन) डाकू जाते हैं। (बहुवचन)
•आकारान्त स्त्रीलिंग शब्दों के अन्त में ‘ए’ या ‘ये’ लगाकर बहुवचन के रूप में प्रयुक्त किया जाता है, जैसे कक्षा-कक्षायें, लता-लताएँ इत्यादि।
• ‘या’ अन्त्य वाले स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में अन्तिम स्वर के ऊपर अनुनासिकता () लगाकर बहुवचन रूप निर्माण किया जाता है; जैसे चिड़िया-चिड़ियाँ,
गुड़िया-गुड़ियाँ इत्यादि ।
• आकारान्त स्त्रीलिंग शब्द का बहुवचन में प्रयोग करने के लिए ‘अ’ का ‘ऐ’ किया
जाता है, जैसे किताब-किताबें, गाय गायें, इत्यादि ।
• ईकारान्त तथा इकारान्त स्त्रीलिंग संज्ञा शब्दों में ‘ई’ को ‘इ’ करके ‘याँ ‘ लगाया जाता है। ‘इ’ तथा ‘ई’ को ‘इयाँ’ कर दिया जाता है;
जैसे नदी- नदियाँ
लड़की-लड़कियाँ
• उकारान्त या ऊकारान्त शब्दों को बहुवचन बनाने के लिए ‘ऊ’ को ‘उ’ तथा अन्त में ‘ऐं’ का प्रयोग किया जाता है, जैसे वस्तु-वस्तुएँ, बहू-बहुएँ इत्यादि।
• संज्ञा के पुल्लिंग या स्त्रीलिंग शब्दों का बहुवचन में प्रयोग गण, वर्ग, जन, वृन्द आदि शब्द लगाकर भी किया जाता है; जैसे
श्रोता + गण = श्रोतागण
अधिकारी + वर्ग = अधिकारी वर्ग
• कतिपय व्यक्तिवाचक तथा भाववाचक संज्ञाओं के भी परिस्थिति अनुसार बहुवचन के रूप में प्रयोग होते हैं। यह बात ध्यान रखने की है कि बहुवचन का सार्वत्रिक प्रयोग जातिवाचक संज्ञाओं का ही होता है, जैसे जयचन्दों ने हमेशा देश की सुरक्षा को खतरे में डाला है।
•विभक्ति के प्रयोग से बहुवचन निर्माण की प्रक्रिया में कतिपय परिवर्तन आते हैं।अ, आ, ए जिन शब्दों के अन्त में आते हैं, उनका अन्तिम स्वर ‘ओ’ हो जाता है;
जैसे लड़कों ने पढ़ा।
पुस्तकों में लिखा है।
•संस्कृत के आकारान्त, संस्कृत-हिन्दी की सभी उकारान्त, ऊकारान्त तथा औकारांत संज्ञा शब्दों का बहुवचन मे प्रयोग करने के लिए अंत मे ‘ओ’ किया जाता है। यदि आगे किसी विभक्ति का प्रयोग हुआ है;
जैसे साधुओं को खाना खिलाओ।
घरों में लोग रहते हैं।
• इकारान्त तथा ईकारान्त शब्दों का बहुवचन के रूप में प्रयोग करने के लिए, यदि उसके बाद विभक्ति चिह्न प्रयुक्त हो तो ‘यों’ लगा दिया जाता है;
जैसे मुनियों का आश्रम जंगल में था।
नदियों का जल स्वच्छ है।
गाड़ियों में ईंधन डालो।
• द्रव्यवाचक संज्ञा का प्रयोग हमेशा एकवचन में होता है। भाववाचक तथा गुणबोधक शब्दों का प्रयोग भी हमेशा एकवचन में होता है;
जैसे कि – 1. डाकू दुकान का सारा सोना ले गए।
2. उनकी सदाशयता के सभी कायल हैं।
•हिन्दी में कुछ शब्द ऐसे भी है जो हमेशा बहुवचन में प्रयुक्त होते हैं; जैसे प्राण, दर्शन, आँसू, समाचार, हस्ताक्षर इत्यादि ।